एलर्जी से प्रभावित व्यक्ति का इम्यून सिस्टम/ रोग प्रतिरोधक प्रणाली हमारे वातावरण में मौजूद सामान्य एवम छोटी छोटी चीजों (एलर्जी पैदा करने वाला तत्व- Allergen) को रिएक्ट करने लगता है। एलर्जी में मरीज को खांसी, जुखाम, नाक में खुजली, छींके आना, पेट दर्द, उल्टी, आंखों पर खुजली, आखों से पानी आना, जैसी समस्या होती है। एलर्जी कई प्रकार की होती है- हाउस डस्ट माइट्स एलर्जी, परागकण एलर्जी, खाने से एलर्जी, दवाइयों से एलर्जी, फफूंद से एलर्जी, पक्षियों व जानवरों के फर से होने वाली एलर्जी।
हमारे शरीर में रोगप्रतिरोधी सिस्टम (Immune system) की अनावश्यक व अत्यधिक प्रतिक्रिया को एलर्जी कहते है। सामान्य तौर पर हमारा इम्यून सिस्टम Th1 Lymphocyte (श्वेत रक्त कोशिका) द्वारा इन्फेक्शन कण्ट्रोल करता है पर, एलर्जी से प्रभावित मरीजों में Th1 की जगह Th2 Lymphocytes हावी होती है। यह हमारे इम्यून सिस्टम को चिड़चिड़ा बनाती है जिसके कारण हमारा इम्यून सिस्टम हमारे वातावरण में मौजूद छोटी छोटी चीजों (एलर्जी पैदा करने वाला तत्व- Allergen) को गैरजरूरी व अत्यधिक प्रतिक्रिया (reaction) देता है। जिसके फलस्वरूप प्रभावित अंग में सूजन (inflammation) के कारण लक्षण उत्पन्न होते है। एलर्जी पैदा करने वाला तत्व के लगातार संपर्क से यह प्रक्रिया जारी रहती है व मरीज़ की बीमारी आगे बढ़ती रहती है।
एलर्जी हमारी अनुवांशिक संरचना (genes) व वातावरण (enviorment) के मिले जुले असर का परिणाम होता है। इसलिए, जिन लोगों के परिवार में किसी को एलर्जी होती है उनमें एलर्जी होने के सम्भावना अधिक होती है, अगर किसी इंसान में पारिवारिक प्रवत्ती के साथ साथ वातावरण में एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों (एलर्जेन) का संपर्क अधिक होता है तो उनमे एलर्जी होने की सम्भावना बहुत अधिक होती है। माता या पिता किसी एक में एलर्जी की टेण्डन्सी होने पर बच्चे में 1 गुना व दोनों को एलर्जी होने पर बच्चे में । 2.5 गुना सम्भावना अधिक हो जाते है। इसीलिए किसी व्यक्ति में एलर्जी होने के चांस उसके जींस (genes) व वातावरण का मिलाजुला असर होता है।
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