हाउस डस्ट माइट एक बहुत ही छोटे साइज का (सूक्ष्म) जीव हैं जो हमारे आंखों से बिना किसी मशीन नहीं देखा जा सकता है एवं केवल सूक्ष्मदर्शी यन्त्र (microscope) के द्वारा ही देखा जा सकता है। यह सामान्यतया अँधेरे, नमी (घर में 60 प्रतिषत से अधिक ना हो।) एवं रेशे (Fibre) वाली जगहों जैसे की हमारे गद्दे, तकिये एवं सोफा इत्यादि में पाया जाता है। यह मनुष्य के त्वचा के कण (मृत कोशिकाए) जो बिस्तर पर गिरते हैं उसे खाकर ही जीवित रहते हैं। हाउस डस्ट माइट की संख्या कमरे की हवा में गरमी एवं नमी होने पर बढती हैं। यदि कमरे की हवा का तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस हो एवं नमी 60 प्रतिशत से अधिक हो तो एक महीने के अंदर ही बिस्तर में इनकी संख्या 2500 गुना बढ़ जाती है। जो कि सामान्यता ऐसे कमरे या जगह जहाँ पर सूर्य की रौशनी सीधी नहीं पडती है, वहाँ इनकी संख्या ज्यादा होती है। जीवित या मृत माइट के कण
उडकर कमरे की धूल में मिलकर सांस द्वारा नाक एवं फेंफड़े के अंदर जाते हैं जिसके कारण नाक की एलर्जी एवं दमा के लक्षण शुरू होते हैं। यह विषेशकर रात में होता है क्योंकि हम बिस्तर पर रात को सोते है तथा दिन में भी बिस्तर पर सोने या बिस्तर झाडने/फटकारने पर होता है।
हाउस डस्ट माईट से बचाव के लिए घर में अनावश्यक सामान नहीं रखे, कमरे को समय-समय पर साफ करते रहें, झाड़ू लगाने की जगह पानी का पोंछा लगाना बेहतर होता है, जिससे इसके कण हवा में नहीं उड़ते है वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल भी किया जा सकता है, पर उसके आगे कचरे की थैली पॉलिथीन की होनी चाहिए कमरे का वेंटिलेशन बरक़रार रखे अगर कमर के साथ अटैच्ड बाथरूम (टॉयलेट) हो तो उसे सूखा व साफ़ रखे व कम से कम2 घंटे रोज एक्जोस्ट पंखा (Exaust fan) चलाएं कमरे में परदे हटाकर व खिड़कियाँ खोलकर धूप आने दें घर के अन्दर कपडे ना सुखाऐ, नहाने के बाद बिस्तर/सोफे पर गीले कपड़े एवं तौलिया ना डाले।
बच्चों के सॉफ्ट टॉयज /रूएंदार खिलोने, गद्दे, रजाई, कम्बल, तकिये को समय- समय पर घूप लगाए बेडशीट व् तकिये के कवर को सप्ताह में एकबार उबलते पानी में धोएं व 6-8 घंटे घूप में रखे।
एक विशेष प्रकार से बना हुआ कपडे से बना कवर (जैसे Allergocover) हाउस डस्ट माइट के कणों को पार नहीं होने देता इसलिए गद्दे तकिये व् कम्बल पर इसके कवर का उपयोग सही तरीक से करें। इन सब उपायों के बाद भी आराम नहीं होने पर इम्यूनोथेरेपी करनी चाहिए!
घर की खिडकियाँ बन्द रखे और पोलन सीजन में कार में यात्रा के दौरान कार का शीशा बन्द रखें व एयर कन्डीशनर चलाकर रखें। चश्मा या धूप का चश्मा पहनें, जिससे पराग कण आँखों में न जाये।हवा को फिल्टर करने के लिए विशेषतः दोपहर के समय एयर कन्डीशनर का प्रयोग करें। क्योंकि तब हवा में कवक बीजाणु (Fungal spores) और पराग कणों का लेवल अधिकतम होता है। घर
के बाहर पार्क या अन्य स्थान से वापस आ रहे हैं तो सबसे पहले कपडे खोलकर हाथ मुंह धोएं या स्नान करें इससे बाल और कपड़ो से एलर्जन्स हट जाते है,घर के आसपास के सारे खरपतवार (घास) को साफ करे। स्वयं घास न काटे व घास काटते समय घर की खिडकियाँ बन्द रखें।घर के बाहर जाये तो एन 95 मास्क पहने।जहाँ तक संभव हो जिस पराग कण (Pollen) से आपको एलर्जी उस के सीजन का पता करते रहें व उस दौरान जहाँ तक संभव हो अति आवश्यक होने पर ही घर के बाहर निकलें।
कॉकरोच की संख्या कन्ट्रोल करने के लिए पेस्ट कन्ट्रोल विशेषज्ञ की सलाह ले। एवं दवा का छिड़काव करवाये
कॉकरोच की संख्या कन्ट्रोल करने के लिए पेस्ट कन्ट्रोल विशेषज्ञ की सलाह ले। एवं दवा का छिड़काव करवाये।
जब आपके घर में फफूंद या काई लग जाती है तो नीचे लिखे उपाय शुरू करें घर में नमी 60 प्रतिशत से अधिक ना हो। सभी पानी की लीकेज को बन्द करवायें। बाथरूम को खिडकी व एक्जॉस्ट (Exhaust) फेन लगाकर हवादार बनाऐ। 24 घंटे में कई बार किचन व बाथरूम के एक्जॉस्ट फेन चलाये एवं दरवाजे व घंटे में कई बार किचन व बाथरूम के एक्जॉस्ट फेन चलाये एवं दरवाजे व खिडकियाँ खुली रखें।
अगर कमरे के साथ अटैच्ड बाथरूम (टॉयलेट) हो तो उसे सूखा व साफ़ रखे व कम से कम 2 घंटे रोज एक्जोस्ट पंखा चलाएं कमरे में परदे हटाकर व खिड़कियाँ खोलकर धूप आने दें, घर के अन्दर कपडे ना सुखाऐ, नहाने के बाद बिस्तर/सोफे पर गीले कपड़े एवं तौलिया ना डाले। घर का कचरा समय-समय पर निस्तारित करते रहे। फफूंद से संक्रमित खाने की वस्तुओं को तुरन्त फ़ेंक दें। फ्रिज को नियमित समय के अन्तराल पर साफ करते रहे। बैकिंग सोडे का इस्तेमाल करें। फल और सब्जियों को छील कर प्रयोग करें। घर में इन्डोर पौधे एवं गार्डन को मेन्टेन करें आवश्यकता हो तो दवा का स्प्रे करें। विशेषज्ञ की सलाह से फफूंद का निवारण करवाएँ।
बहुत से लोगों को कड़े मकोड़े (Insects) जैसे मधुमक्खी, ततैया, भंवरा, मच्छर इत्यादि के काट खाने से या डंक से शरीर पर लाल दाने व खुजली व धपड/पित्ती निकल अति है । परन्तु , कुछ लोगों में यह एलर्जी गंभीर होकर पसीने आना, चक्कर आना, बेहोशी, ब्लड प्रेशर का अचानक कम होना (Shock) खांसी, साँस में तकलीफ, सीने में घरघराहट की आवाज़ आना (WHEEZING) आदि लक्षण भी होते है । यह स्थिति खतरनाक है व जानलेवा भी हो सकती है इसे अनफिलैक्सिस (ANAPHYLAXIS) कहते है।
इन लोगों को एलर्जी विशेषज्ञ से सलाह लेकर व एलर्जी टेस्ट करवाकर अपना इलाज करना चाहिए। इम्मुनोथेरपी द्वारा इन्सेक्ट एलर्जी का ईलाज किया जाता है जो की काफी प्रभावी है।
फर और पंख वाले जानवरों को घर से दूर रखे। अगर आप पालतू जानवरों को घर से बाहर नहीं कर सकते तो उन्हें बैडरूम से बाहर रखें, बैडरूम में प्रवेश न दे व बैडरूम का दरवाजा हमेशा बन्द रखें।कमरे में हेपा फिल्टर के इस्तेमाल से पालतू जानवर के कणो व एलर्जन का एक्सपोज़र काम कर सकते है फिल्टर समय समय पर बदलते रहे। वेक्यूम क्लिनर का प्रयोग हेपा फिल्टर के साथ करें।
पिछले कुछ वर्षो में पर्यावरण प्रदुषण के कारण एलर्जी में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रदुषण के संपर्क से श्वसन और त्वचा की एलर्जी हो सकती है श्वसन एलर्जी, एलर्जिक राइनाइटिस और अस्थमा के रूप में प्रकट हो सकती है स्किन एलर्जी, एक्जिमा या एटोपिक डर्माटाइटिस के रूप में प्रकट हो सकती है, पेट्रोल या डीज़ल से चलने वाले संयंत्रों से निकलने वाला धुआं, वाहनों से निकलने वाला धुआं, आतिषबाजी/पटाखे का धुआं, सिगरेट का धुआं, पेंट निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले रसायन कीटनाशक, प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने रसायन, कपडे उधोग या नए कपड़ों, नए फर्नीचर, पार्टिकल बोर्ड या लकड़ी की पोलिश से निकलने वाला फोरमिक एसिड, घर के अंदर काम लिए जाने वाले विभिन्न केमिकल्स जैसे टॉयलेट क्लीनर, टाइल क्लीनर, ड्रेन क्लीनर, फ्लोर क्लीनर, अगरबत्ती/धूपबत्ती/लकड़ी या केरोसिन के चूल्हे आदि पर्यावरण प्रदुषण के विभिन्न कारण हैपर्यावरण प्रदुषण के लंबे समय तक संपर्क में आने से बच्चों में अस्थमा बन सकता है।
अपने या अपने बच्चे का धुएं के किसी भी रूप में संपर्क को कम करें। स्कूल या अन्य जगहों की यात्रा के दौरान, सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा चेहरे पर मास्क /फेसशिल्ड का प्रयोग करें। पीक ट्रैफिक के समय घर से न निकलें, जब सड़कों पर ट्रैफिक कम हो उस समय खरीददारी के लिए निकले। हैवी ट्रैफिक के इलाकों में जहाँ तक संभव हो न निकलें। घर में सुगंधित मोमबत्तियों या एयर फ्रेशनर्स उपयोग करने से बचें, हवा के बेहतर आवागमन (वेंटिलेषन) प्रदान करने के लिए खिड़कियाँ और दरवाजे खुले रखें, पटाखों के फटने के दौरान, बच्चे को मास्क पहनाकर रखें और धूम्रपान के संपर्क में आने से बचना चाहिए वैसे रसायन जो जलन पैदा कर सकते हैं (जैसे डिटर्जेन्ट, कीटनाषक और अन्य) को शेड में या उन स्थान पर संग्रहित किया जाना चाहिए जहां आपका बच्चा पहुँच ना सके। अपने बच्चे को उसके एलर्जी स्थिति और पर्यावरणीय प्रदूषकों के संपर्क से रोकथाम के बारे मे शिक्षित करें।
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